Friday, December 3, 2010

Shers.In

Shers.In


Angoothi Ka Phool

Posted: 02 Dec 2010 08:40 PM PST

Jaane Shaam Se Zehan Kyun Uljha Tha,
Zindagi Ke Badan Par Lagi Kharonchen Abhi Mitne Hi Lagin Thin,

Aur Waqt Ki Chadar Par Padi Silwatein Bhi.
——-Toota, Bikhra Sab Sametne Lagi Thi Mein,

Aise Me Achanak Man Ki Angoothi Se Tumhare Khyaal Ka Phool Nikal Aaya,
Jo Mere Bistar Ke Kone Mein Pada Abhi Abhi Mujhe Mila Hai.

By Shabnam Sultana`ada’


Nadi Kinare Pani Mein Ladki Ek Nahati Hai

Posted: 02 Dec 2010 08:30 PM PST

नदी किनारे पानी में लड़की एक नहाती है
देख देख के अपने आप को शरमाती लाजियाती है

खेल रही है वो पानी से और उससे पानी
ऐसा लगता है जलपरियों की कोई रानी
गोरे गोरे बदन से उसके निकल रहे हैं शोले
डोल रही है उसकी जवानी खाती है हिचकोले

मस्त जवानी से नदिया के पानी को गरमाती है
नदी किनारे पानी में लड़की एक नहाती है

पानी उसके बदन को चूमे, चूम चूम कर झूमे
मछली की तरहा तैरे वह इधर उधर भी घूमे
नागिन की तरहा पानी की लहरों पे लहराए
पेड़ पे जैसे कोई डाली फूलों की बलखाए

पानी ले ले कर हाथों में नदिया का उछ्लाती है
नदी किनारे पानी में लड़की एक नहाती है

भीगी साड़ी के पीछे से झाँक रहा है जोबन
सोच रही है देखे कोई आकर उसका यौवन
कोई मुझको अंग लगाए कोई मुझसे खेले
अंग अंग छुए वह मेरा और बाहों में ले ले

तन को थिरकाती है अपने और मन को बहलाती है
नदी किनारे पानी में लड़की एक नहाती है

By Satish Shukla “Raqeeb”


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