Sunday, September 14, 2008

जब याद आती है वो....

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कैसे कहू कितना, सताती है वो!

नमी आँखों में बनकर, उतर जाती है वो!!

जब याद आती है...........

मई जब भी टहलता हूँ, खामोशियों के डगर पे!

हँसी बनकर लबो पे, मुशकुराती है वो!!

जब याद आती है.............

सहमा-२ सा अक्शर, गुजरता है दिन !

सिसकियों से भरी रात, आ जाती है !!

जितना रोया न वर्षो, में पहले कभी !

अक पल में वो इतना, रुला जाती है !!

जब बुझता नही, ए सिस्कियें का शमा !

ख्वाब बनकरमेरे पलकों पे छाती है वो !!

जब याद आती है.............

अब तो हालत है ऐसी, मेरी अंजुमन !

नींद आती नही, रात कट जाती है !!

फिर होता है सामना, जब आईने से मेरा !

बन कर आँखों में लाली, नज़र आती है वो !!

जब याद आती है ...........

किस्सा है रोज का, नही वर्षो की कहानी !

वो हकीकत है मेरी, नहीं कोई सपनो की रानी !!

रोते-२ ही मुझको, हंसाती है वो !

बन के सांसो में खुशबू, बिखर जाती है वो !!

जब याद आती है वो.......

कैसे कहूँ कितना, सताती है वो !

नमी आँखों में बनकर, उतर जाती है वो !!

जब याद आती है वो.......

हँसी बनकर लावो पे, मुशकुराती है वो !

जब याद आती है वो !!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!

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